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बीकानेर, 24 फरवरी। राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा कि जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन कृषि योग्य भूमि सीमित है। इसे ध्यान रखते हुए इनका समुचित उपयोग किया जाना जरूरी है।
राज्यपाल श्री बागडे सोमवार को स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि देश की आजादी के समय हमारे देश की जनसंख्या और उत्पादन कम था। आज जनसंख्या बढ़ी है और उत्पादन बढ़ा है, लेकिन अब जमीन और पानी सीमित है। इसके मद्देनजर अब इनके समुचित उपयोग की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राजस्थान जैसे प्रदेश में पानी की बहुत कमी है। ऐसे में पानी को रोकना बहुत जरूरी है। इससे भूजल स्तर सुधरेगा और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी।
राज्यपाल ने कहा कि कृषि और पशुपालन हमारी आजीविका का आधार रहा है। खेती और पशुपालन का विकास ही राष्ट्र के विकास की धुरी है। राज्यपाल ने कहा कि ‘हर खेत को पानी, हर हाथ को काम’ की अवधारणा को साकार करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है।
राज्यपाल ने कहा कि डिग्री प्राप्त करने वाले कृषि विद्यार्थियों को शुभकामनाएं दी और कहा कि कृषि विश्वविद्यालय कृषि की नई तकनीकें इजाद करें और किसानों तक इन्हें पहुंचाएं। उन्होंने स्वामी केशवानंद कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे नवाचारों की सराहना की।
कुलपति डॉ अरुण कुमार ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के बारे में बताया। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा 40 उन्नत किस्मों, 15 से अधिक नवीनतम कृषि तकनीकों का विकास किया गया है।
दीक्षांत अतिथि डॉ मंगला राय ने कहा कि चने की नई किस्मों पर शोध, बीज उपलब्धता सहित विभिन्न शोध कार्यों के लिए स्वामी केशवानंद विश्विद्यालय के वैज्ञानिक बधाई का पात्र है। कृषि विश्वविद्यालयों को नये शोध और अनुसंधान कार्य करने का आह्वान करते हुए श्री मंगला राय ने कहा कि वैश्विक जनसंख्या की बढ़ती आहार आवश्यकता, घटती खेती योग्य जमीन, उर्वरा शक्ति का क्षरण, पानी की कमी, कृषि लागतों में बढ़ोतरी जैसे विषय भविष्य की गंभीर चुनौतियां होंगी।
विशिष्ट अतिथि के रूप में पूर्व कुलपति डॉ. एन. एस. राठौड़ ने विद्यार्थियों से अपनी दक्षता बढ़ाने के लिए सदैव तत्पर रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान और भविष्य की आवश्यकताओं तथा जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों को देखते हुए उच्च कृषि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने तथा शिक्षण, अनुसंधान के लिए कृषि विश्वविद्यालयों में निवेश बढ़ाने की जरूरत है।
दीक्षांत समारोह में राज्यपाल एवं कुलाधिपति द्वारा कृषि संकाय, सामुदायिक विज्ञान संकाय और आईएबीएम के कुल 1480 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। जिसमें कृषि संकाय के अंतर्गत स्नातक (यूजी) के 1346, स्नातकोत्तर (पीजी) के 114 और विद्या वाचस्पति ( पीएचडी) के 20 विद्यार्थी शामिल हैं। उन्होंने 13 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 02 विद्यार्थियों को कुलाधिपति स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। मानवजीत सिंह को स्नातक बीएससी कृषि में तथा उर्मिला भादू को स्नातकोत्तर (कृषि) में कुलाधिपति पदक से सम्मानित किया गया।
राज्यपाल ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पूर्व महानिदेशक एवं कृषि अनुसंधान डॉ. मंगला राय को कृषि के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राज्यपाल द्वारा डॉक्टर ऑफ साइंस (कृषि) की मानद उपाधि प्रदान की। राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा विभिन्न विषयों पर आधारित 9 प्रकाशनों का विमोचन किया गया।


स्व. रामनारायण चौधरी कृषि महाविद्यालय, मंडावा के भवन और छात्रावास भवन का किया लोकार्पण
इससे पहले राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने पट्टिका का अनावरण कर स्व. रामनारायण चौधरी कृषि महाविद्यालय, मंडावा (झुंझुनू) के महाविद्यालय भवन, छात्रावास भवन का लोकार्पण किया।
राज्यपाल ने विश्वविद्यालय परिसर में प्रारम्भ किए गए ‘आपणो कृषि बाजार’ का लोकार्पण भी किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस बाजार का किसानों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। साथ ही खाद्य प्रसंस्करण और विश्विद्यालय द्वारा उत्पादित प्रोडेक्ट भी आमजन को इस बाजार के माध्यम से आसानी से उपलब्ध हो सकेगे।
इस अवसर पर महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित, संभागीय आयुक्त डॉ. रवि कुमार सुरपुर, जिला कलेक्टर श्रीमती नम्रता वृष्णि और पुलिस अधीक्षक श्री कावेंद्र सागर, विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार निकया गोएन, वित्त नियंत्रक पवन कस्वां सहित विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, विद्या परिषद सदस्य सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने पेमासर में किसान प्रदर्शनी का किया अवलोकन
किसानों से संवाद कर कौशल विकास और पशुपालन आधारित उद्योग लगाने का किया आह्वान
बीकानेर, 24 फरवरी। राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा कि किसान खेती के साथ पशुपालन, डेयरी और उद्यानिकी आधारित उद्योगों को अपनाएं। बालिकाओं को शिक्षा से जोड़ें, ग्रामीण क्षेत्रों में युवा और महिलाओं के कौशल का विकास करें।
राज्यपाल श्री बागडे ने स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय द्वारा गोद लिए गए गांव पेमासर में सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में किसानों से संवाद करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए।
श्री बागडे ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा सामाजिक दायित्व के तहत पेमासर गांव गोद लिया है। ग्रामवासी इस अवसर का पूरा लाभ लें।


राज्यपाल ने खेती में रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग पर चिंता जताई और कहा कि इससे भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए भी बेहद हानिकारक है। इससे कैंसर जैसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके मद्देनजर उन्होंने किसानों से प्राकृतिक खेती की ओर लौटने का आह्वान किया।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गांव के विकास में हरसंभव मदद की जाए। किसानों को तकनीकी ज्ञान दें। इसमें प्रशासनिक विभागों का सहयोग भी लिया जाए।
खाजूवाला विधायक डॉ विश्वनाथ मेघवाल ने कहा कि आज राजस्थान विकास की नई राह पर बढ़ रहा है। इसमें किसानों का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के सहयोग से पेमासर में सरसों और मोठ की नई किस्मों पर प्रशिक्षण किया जा रहा है। सहकारी समिति के माध्यम से यहां भंडारण केंद्र प्रारम्भ किया गया है।
कुलपति डॉ अरुण कुमार ने आगंतुकों का स्वागत किया और कहा कि यह गांव के लिए गौरव का विषय है कि राज्यपाल यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा गांव के युवाओं, महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिला प्रशासन के सहयोग से बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सहित अन्य गतिविधियां आयोजित की जा रही है। विश्वविद्यालय का प्रयास है कि पेमासर आदर्श कृषि गांव के रूप में विकसित हों।
सरपंच श्री तोलाराम कूकणा ने आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर पूर्व कुलपति प्रो. एन एस राठौड़, जिला कलेक्टर श्रीमती नम्रता वृष्णि, पुलिस अधीक्षक श्री कावेन्द्र सिंह सागर, विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार श्री निकया गोएन, वित्त नियंत्रक श्री पवन कस्वां सहित अन्य ग्रामीण, बड़ी संख्या में किसान तथा महिलाएं मौजूद रहे।
दस्तावेज हमारे इतिहास, संस्कृति और परम्पराओं के जीवंत प्रमाणः राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे
राज्यपाल ने अभिलेखागार संग्रहालय का किया अवलोकन
बीकानेर, 24 फरवरी। राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा कि राजस्थान राज्य अभिलेखागार के अभिलेखागार संग्रहालय में संरक्षित दस्तावेज हमारे इतिहास, संस्कृति और परम्पराओं के जीवंत प्रमाण हैं। यह हमें हमारे स्वर्णिम इतिहास से साक्षात करवाते हैं।
राज्यपाल ने सोमवार को अभिलेखागार के संग्रहालय के अवलोकन के दौरान यह उद्गार व्यक्त किए।
राज्यपाल ने यहां संरक्षित पुरंदर की संधि का अवलोकन किया और कहा कि पुरंदर की संधि के माध्यम से शिवाजी महाराज और राजपूताना के संबंधों की जानकारी मिलती है। उन्होंने महाराणा प्रताप दीर्घा, स्वतंत्रता सेनानी गैलेरी के अलावा ऐतिहासिक दस्तावेजों तथा महत्वपूर्ण अभिलेखों का अवलोकन किया।
राज्यपाल ने संग्रहालय में राजस्थान के ऐतिहासिक, प्रशासनिक और सांस्कृतिक विकास से जुड़े विभिन्न अभिलेखीय दस्तावेजों का अवलोकन किया। शाही फरमान, महाराणा प्रताप कालीन ताम्रपत्र देखकर इनके संरक्षण कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सभी दस्तावेज आने वाली पीढ़ियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इससे युवाओं में इतिहास और संस्कृति के प्रति जागरूकता बढे़गी।
राज्यपाल ने कहा कि शोध के दृष्टिकोण से भी यह दस्तावेत महतवपूर्ण है। इने डिजिटाइजेशन से इनकी पहुंच बढ़ेगी तथा संरक्षण भी होगा। उन्होंने संरक्षण कार्य के लिए अन्य देशों और प्रदेशों के अभिलेखागार संस्थानों से समन्वय करने की बात कही। उन्होंने अधिक से अधिक लोगों को अभिलेखागार के अवलोकन के लिए प्रेरित करने के निर्देश दिए।
अभिलेखागार निदेशक डॉ. नितिन गोयल ने अभिलेखागार की समस्त गतिविधियों के बारे में बताया।
इस दौरान संभागीय आयुक्त डाॅ. रविकुमार सुरपुर, जिला कलक्टर श्रीमती नम्रता वृष्णि, पुलिस अधीक्षक श्री कावेन्द्र सागर सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद रहे।